पाठ्यक्रम का लक्ष्य छात्र को अंतरिक्ष अर्थशास्त्र नामक एक उभरते क्षेत्र से परिचित कराना है और विशेष रूप से उन्हें बदलते भारतीय और वैश्विक संदर्भ में अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभों और सार्वजनिक अच्छे स्वरूप का मूल्यांकन करने के लिए बुनियादी सैद्धांतिक और अनुभवजन्य इनपुट प्रदान करना है। इसके अलावा पाठ्यक्रम में अंतरिक्ष उद्योग और अंतरिक्ष नीति के वैश्विक संदर्भ, नवाचारों की भूमिका, पद्धति संबंधी चुनौतियों और अंतरिक्ष कार्यक्रम के लागत लाभ व दृष्टिकोण और अंतरिक्ष व्यापार, उद्योग और अनुप्रयोग सेवाओं के भविष्य की व्यापक समझ पैदा करने की परिकल्पना की गई है।
(संकाय : डॉ. वी के दधवाल, डॉ. षैजुमोन सी एस )
यह क्षेत्र आर्थिक विकास और लोगों की आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों पर केंद्रित है। जलवायु परिवर्तनशीलता और आर्थिक भेद्यता के बीच संबंधों पर भी अध्ययन ध्यान केंद्रित करते हैं।
(संकाय : डॉ. षैजुमोन सी एस )
यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की व्यापार विकृतिकारी उपायों जैसे व्यापार में तकनीकी बाधाओं (टी बी टी), स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी उपायों (एस पी एस), कोटा, निर्यात प्रतिबंधों, वितरण प्रतिबंधों आदि के प्रभाव से संबंधित अध्ययनों पर केंद्रित है।
(संकाय : डॉ. षैजुमोन सी एस )
अंग्रेज़ी वैश्वीकरण की भाषा होने के कारण आधुनिकीकरण और विकास से दृढ़तापूर्वक जुड़ी हुई है। अंग्रेज़ी भाषा प्रशिक्षण में अनुसंधान, गहन भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से श्रवण, उच्चारण, वाचन और लेखन जैसे प्रमुख कौशलों पर ज़ोर देता है। यह भाषा सीखने और सिखाने के सिद्धांतों पर गौर करेगा।
(संकाय : डॉ. बबिता जस्टिन, डॉ. जिजी जे अलेक्स)
विज्ञान कथा एक साहित्यिक विधा है, जो समाज या व्यक्तियों पर वास्तविक या काल्पनिक विज्ञान के प्रभाव से संबंधित है। अंतरिक्ष यात्रा, चंद्रमा पर मानव यात्राओं, क्लोनिंग और तकनीकी प्रगति द्वारा हासिल की गई अन्य उपलब्धियों के आगमन के साथ विज्ञान कथा का महत्व भी बढ़ा है। यूटोपिया, डिस्टोपिया, सॉफ्ट एसएफ, हार्ड एसएफ, समय यात्रा, एसएफ में महिलाएँ, साइबरनेटिक्स एवं एसएफ, लिंग समस्याएं, पारिस्थितिकी, भाषा, शक्ति, जेनेटिक इंजीनियरिंग, कल्पनाशील साहित्य तथा विज्ञान कथाओं से संबंधित प्रमुख तकनीकों पर भी चर्चाएँ शामिल हैं।
(संकाय : डॉ. जिजी जे अलेक्स))
अफ्रीकी अमेरिकी और मूल अमेरिकी लेखकों द्वारा साझा किए गए प्रमुख विषयों का विश्लेषण किया जाएगा। विधा, लिंग, राष्ट्र, संस्कृति आदि जैसे विशेष क्षेत्रों के आधार पर तुलनाओं का विश्लेषण किया जाएगा।
(संकाय : डॉ. जिजी जे अलेक्स)
एक समकालीन विधा जो 80 के दशक में संस्कृति अध्ययन के दायरे में आई, जो यात्रा लेखन, यात्रा फोटोग्राफी, पूर्व और पश्चिम के बीच मध्यस्थता, वर्ग, लिंग, जाति, आदि पर धारणाओं का विश्लेषण करती है।
(संकाय : डॉ. बबिता जस्टिन )
यह साहित्य, सिनेमा और सामाजिक संस्कृति में लिंग की समाजशास्त्रीय अभिव्यक्तियों को देखेगा। शोधकर्ता को इस क्षेत्र को एक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से देखना होगा ताकि यह विश्लेषण किया जा सके कि पहचान कैसे बनाई जाती है और कभी-कभी विभिन्न सामाजिक ग्रंथों में विकृत हो जाती है। यह लिंग पहचान और लिंग प्रतिनिधित्व की अवधारणाओं को देखेगा।
(संकाय : डॉ. बबिता जस्टिन, डॉ. जिजी जे अलेक्स)
समकालीन डिजिटल, प्रिंट, ग्राफिक और अन्य दृश्य मीडिया में समाज का प्रतिबिंब इस क्षेत्र का मुख्य जोर है। दृश्य संचार छवियों की प्रस्तुति से संबंधित है और व्यक्तिगत, ऐतिहासिक, तकनीकी, नैतिक, सांस्कृतिक और महत्वपूर्ण दृष्टिकोणों का अध्ययन करता है।
(संकाय : डॉ. बबिता जस्टिन))
यह एक अंतर्विषयी क्षेत्र है जो किसी भी पाठ के सांस्कृतिक विश्लेषण में लगा हुआ है, जिसमें फिल्में, फोटोग्राफ या संस्कृति की कोई अन्य अर्थपूर्ण कलाकृतियाँ शामिल हैं। यह नृविज्ञान, साहित्यिक अध्ययन, समाजशास्त्र आदि जैसे विभिन्न अन्य विषयों के अभिसरण के माध्यम से विकसित हुआ है।
(संकाय : डॉ. बबिता जस्टिन) , डॉ. जिजी जे अलेक्स)
पर्यटन विकास और सांस्कृतिक अध्ययन कई कोणों से समाजशास्त्र का हिस्सा है। यहाँ पर्यटन का अध्ययन आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से किया जाता है और सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी इसका अध्ययन किया जाता है।
(संकाय : डॉ. लक्ष्मी वी नायर)
यह विश्लेषण करता है कि प्रौद्योगिकी क्रांति समय आबंटन पैटर्न में दैनिक जीवन, सामाजिक कार्यों के चयन में, सांस्कृतिक मूल्यों के संचारण में, और समग्र मानव व्यवहार में समाज को कैसे प्रभावित करती है ।
(संकाय : डॉ. लक्ष्मी वी नायर)
सामाजिक समस्याओं के बारे में सामाजिक सर्वेक्षण, आवश्यकता निर्धारण सर्वेक्षण और समाज के बेहतर संविन्यास को समझने हेतु किया जाता है।
(संकाय : डॉ. लक्ष्मी वी नायर)
चूंकि विकास का उद्देश्य लोगों को उपयोगी, स्वस्थ और सर्जनात्मक जीवन का आंनंद लेने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है, इसलिए पार्श्वीकरण के मुद्दों पर चर्चा करना महत्पूर्ण है। विकास की कल्पना हमेशा व्यापक रूप से बड़े पैमाने पर भागीदारी के संदर्भ में की जाती है। पार्श्वीकरण, विश्व-भर के अधिकांश लोगों को विकास में भाग लेने से वंचित करता है। यह एक जटिल समस्या है और ऐसे कई घटक हैं जो पार्श्वीकरण के कारण बनते हैं। इस जटिल और गंभीर समस्या को नीतिगत स्तर पर हल करने की आवश्यकता है। यह परियोजना पार्श्वीकरण से पीड़ित समूहों से जुड़ी समस्याओं और उन्हें कम करने के तरीकों से संबंधित है।
(संकाय : डॉ. लक्ष्मी वी नायर )
बुज़ुर्गों के जीवन में झांकने पर एक गुलाबी तस्वीर के बजाय एक भयानक तस्वीर बन जाती है। देश में आधी बुजुर्ग-आबादी दुर्व्यवहार का सामना करती है और विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करती है। समस्या का गहराई से विश्लेषण करने और परिवर्तनों का सुझाव देने के लिए अध्ययन किए गए हैं।
(संकाय : डॉ. लक्ष्मी वी नायर)
इस क्षेत्र से संबंधित अनुसंधान, आर्थिक विकास में प्रौद्योगिकी प्रसार के प्रभाव पर केंद्रित है। इसमें प्रौद्योगिकियों की अनुकूलनशीलता और अभिगम्यता, प्रौद्योगिकी प्रसार में संस्थानों की भूमिका, प्रौद्योगिकी को अपनाने के सामजिक-आर्थिक उलझन, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रसार और विकास आदि की समस्याएं शामिल हैं।
(संकाय : डॉ. सी एस षैजुमोन)
विकासशील दुनिया, गरीबी और असमानता का अर्थशास्त्र, संसाधन अर्थशास्त्र, वृद्धि और विकास, योजना, बजट आदि।
(संकाय : डॉ. सी एस षैजुमोन)
स्वतंत्र्योत्तर भारत, आर्थिक नमूने, अन्य देशों के साथ व्यापार, भारतीय कृषि क्षेत्र, केंद्र-राज्य संबंध, बजट, मौद्रिक प्रणाली, सेवा क्षेत्र, नव-उदारवादी सुधार, वैश्विक संकट और केरल की अर्थव्यवस्था।
(संकाय : डॉ. सी एस षैजुमोन)
समष्टि नमूने, पोस्ट-कीनेशियन सिस्टम, आईएमएफ, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, ब्रिक्स, मल्टी पोलार माक्रोइकनोमिक सिस्टम जैसे वैश्विक संस्थान।
(संकाय : डॉ. सी एस षैजुमोन)
एक आपूर्ति श्रृंखला में ग्राहकों के अनुरोधों को पूरा करने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सम्मिलित सभी पक्ष शामिल होते हैं। आपूर्ति श्रृंखला गतिविधियों में उत्पाद विकास, स्रोतन, उत्पादन, सुप्रचालन आदि के पहलुओं के साथ-साथ इन गतिविधियों के समन्वयन के लिए आवश्यक सूचना प्रणालियाँ भी शामिल हैं। विभाग में अध्ययन के अनुसंधान क्षेत्रों में हरित आपूर्ति श्रृंखला, लचीली आपूर्ति श्रृंखला, टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला, क्लोज़-लूप आपूर्ति श्रृंखला, रिवेर्स लॉजिस्टिक्स आदि शामिल हैं।
(संकाय : डॉ. रवि वी)
प्रौद्योगिकी प्रबंधन में मानव जाति के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी की खोज, विकास, संचालन और उचित उपयोग हेतु प्रबंधन कौशल का अनुप्रयोग शामिल हैं। निरंतर आधार पर प्रौद्योगिकी विकास तब तक उपयोगी होता है जब तक कि यह ग्राहक को मूल्य प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी प्रबंधन में अनुसंधान यह अनुमान लगाने में सक्षम होना चाहिए कि प्रौद्योगिकी विकास पर निवेश करना कब संभव है और कब वापस लेना है। विभाग में अध्ययन के अनुसंधान क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान, प्रौद्योगिकी रणनीति, प्रौद्योगिकी रोड मैप आदि शामिल हैं।
(संकाय : डॉ. रवि वी)
नया उत्पाद विकास, बाज़ार के लिए एक नया उत्पाद या सेवा विकसित करने की प्रक्रिया है। यह उत्पाद या सेवा विकास में प्रारंभिक चरण है और इसमें कई चरण शामिल हैं, जिन्हें उत्पाद को बाज़ार में पेश करने से पहले पूरा किया जाना चाहिए। उत्पादों में सुधार और अद्यतन करना एक सतत कार्य है क्योंकि ग्राहकों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं में निरंतर आधार पर परिवर्तन होता है। विभाग में अध्ययन के अनुसंधान क्षेत्रों में व्यवहार्यता अध्ययन, उत्पाद विश्लेषण, उत्पाद अभिकल्पन और विकास, उत्पाद का विपणन और व्यावसायीकरण शामिल हैं।
(संकाय : डॉ. रवि वी)